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aarti radha rani

  आरती राधा रानी  (aarti radha rani) ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण श्री राधा कृष्णाय नमः .. घूम घुमारो घामर सोहे जय श्री राधा पट पीताम्बर मुनि मन मोहे जय श्री कृष्ण . जुगल प्रेम रस झम झम झमकै श्री राधा कृष्णाय नमः .. राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण . मंगल मूरति मोक्ष करैया श्री राधा कृष्णाय नमः ..
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aarti shyam baba

आरती श्याम बाबा जी की  (aarti shyam baba ji ki) ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे | खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले| तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे| खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें | सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे| भक्त आरती गावे, जय जयकार करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे | सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... श्रीश्याम बिहारीजी की आरती जो कोई नर गावे| कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे | निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे | खाटू धाम

aarti satya narayan

   सत्य नारायण जी की आरती  (aarti satya narayan ki ) ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा | सत्यनारायण स्वामी ,जन पातक हरणा रत्नजडित सिंहासन , अद्भुत छवि राजें | नारद करत निरतंर घंटा ध्वनी बाजें ॥ ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.... प्रकट भयें कलिकारण ,द्विज को दरस दियो | बूढों ब्राम्हण बनके ,कंचन महल कियों ॥ ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी..... दुर्बल भील कठार, जिन पर कृपा करी | च्रंदचूड एक राजा तिनकी विपत्ति हरी ॥ ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी..... वैश्य मनोरथ पायों ,श्रद्धा तज दिन्ही | सो फल भोग्यों प्रभूजी , फेर स्तुति किन्ही ॥ ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी..... भाव भक्ति के कारन .छिन छिन रुप धरें | श्रद्धा धारण किन्ही ,तिनके काज सरें ॥ ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी..... ग्वाल बाल संग राजा ,वन में भक्ति करि | मनवांचित फल दिन्हो ,दीन दयालु हरि ॥ ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी..... चढत प्रसाद सवायों ,दली फल मेवा | धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ॥ ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी..... सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे | ऋद्धि सिद्धी

aarti lord vishnu

विष्णु जी की आरती  (aarti vishnu ji ki) जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट, छन में दूर करे॥ जय जगदीश हरे जो ध्यावै फल पावै, दु:ख बिनसै मनका। सुख सम्पत्ति घर आवै, कष्ट मिटै तनका॥ जय जगदीश हरे मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥ जय जगदीश हरे तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतर्यामी। पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ जय जगदीश हरे तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता। मैं मुरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ जय जगदीश हरे तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमती॥ जय जगदीश हरे दीनबन्धु, दु:खहर्ता तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पडा तेरे॥ जय जगदीश हरे विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढाओ, संतन की सेवा॥ जय जगदीश हरे जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे। मायातीत, महेश्वर मन-वच-बुद्धि परे॥ जय जगदीश हरे आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अविनाशी। अतुल, अनन्त, अनामय, अमित, शक्ति-राशि॥ जय जगदीश हरे अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी। सत-चित-सुखमय, सुन्दर शिव सत्ताधारी॥ जय जगदीश हरे विधि-हरि-शंकर-गणपति-सूर्य-शक

aarti shri krishna

श्री कृष्णा जी की आरती  (Shri krishna aarti) ॐ जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे भक्तन के दुख टारे पल में दूर करे. जय जय श्री कृष्ण हरे.... परमानन्द मुरारी मोहन गिरधारी. जय रस रास बिहारी जय जय गिरधारी.जय जय श्री कृष्ण हरे.... कर कंचन कटि कंचन श्रुति कुंड़ल माला मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला.जय जय श्री कृष्ण हरे.... दीन सुदामा तारे, दरिद्र दुख टारे. जग के फ़ंद छुड़ाए, भव सागर तारे.जय जय श्री कृष्ण हरे.... हिरण्यकश्यप संहारे नरहरि रुप धरे. पाहन से प्रभु प्रगटे जन के बीच पड़े. जय जय श्री कृष्ण हरे.... केशी कंस विदारे नर कूबेर तारे. दामोदर छवि सुन्दर भगतन रखवारे. जय जय श्री कृष्ण हरे.... काली नाग नथैया नटवर छवि सोहे. फ़न फ़न चढ़त ही नागन, नागन मन मोहे. जय जय श्री कृष्ण हरे.... राज्य विभिषण थापे सीता शोक हरे. द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे. जय जय श्री कृष्ण हरे.... ॐ जय श्री कृष्ण हरे.

aarti kunj bihari

श्री कुंज बिहारी जी की आरती ( aarti kunj-bihari ki ) आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला। श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला। गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली । लतन में ठाढ़े बनमाली;भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की... कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं । गगन सों सुमन रासि बरसै;बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;अतुल रति गोप कुमारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की... जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा । स्मरन ते होत मोह भंगा;बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;चरन छवि श्रीबनवारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की... चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू । चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की